मेरा आँगन

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Monday, November 12, 2007

5-कविताएँ




रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'



1-मेरी नानी


मेरी नानी अच्छी नानी
बातें मैंने सारी मानी ।
रात हो गई मुझे सुनाओ
परियों वाली एक कहानी।
वही कहानी बड़ी पुरानी
जिसमें हो परियों की रानी ।

2- भारी बस्ता



माँ मुझसे यह नहीं उठेगा
बस्ता इतना भारी ।
इस बस्ते के आगे मेरी
हिम्मत बिल्कुल हारी
बोझ करा दो कुछ कम इसका
सुनलो बात हमारी ।


3-पत्ता

टूट गया जब डाल से पत्ता
उड़कर जा पहुँचा कलकत्ता
भीड़ देख्कर वह घबराया
धूल –धुएँ से सिर चकराया.
शोर सुना तो फट गए कान
वापस फिर बगिया में आया ॥


4- दादा जी
ये मेरे प्यारे दादा जी
हैं सबसे न्यारे दादा जी।
उठ सवेरे घूमने जाते
सूरज उगते वापस आते।
नहा-धोकर पूजा करत
जोश सभी के मन में भरते ।
.
5-रोमा
रोमा घर की पहरेदार
साथ में उसकी पिल्ले चार ।
चारों पिल्ले हैं शैतान
इधर- उधर हैं दौड़ लगाते
बिना बात भौंकते हैं जब
डाँट बहुत रोमा की खाते

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